न तुम चुप हो, न मैं चुप हूँ
न तुम चुप हो, न मैं चुप हूँ न तुम चुप हो, न मैं चुप हूँ, मगर रात्रि बीच में ढल रही है। दिखाई पड़े चाँद की किरणें, वही चमकें हमारे ऊपर भी, हवा बह रही है धीरे-धीरे, न रुके चलें ये सुकून भरे लम्हे। न तुम चुप हो, न मैं चुप हूँ, मगर रात्रि … Read more