कठिन हृदय की पुकार
कठिन हृदय की पुकार क्या शांति की छाँव न मिलेगी?अवसाद, दग्ध मेरे मन की छाँवक्या सौम्यता बरस न सकेगी? संसार के विषैले पत्ते हटाकर,आशा के रंग भर, खिलाकर,क्या करुणा की धारा बहने पर,कोमल हृदय यह पिघल न सकेगा? मेरे दुख का बोझ, झुका है,हर कदम पर थक कर रुकता है,स्पर्श तुम्हारा मिलने पर, क्यायह हर … Read more