हाहाकार की रात
हाहाकार की रात घने बादलों की गर्जन मेंझूम उठा सारा संसार,पवन में कंपित कण-कण मेंछिपा है हाहाकार। धरती का हृदय धधक उठा,हर कोने में आग की लहर,सपनों का संसार छूट गया,रह गई सिर्फ़ अश्रुओं की डगर। वज्र की चोट से जाग उठेशब्द मौन, धैर्य सजीव,जीवन की नई किरण मेंदिखी एक आशा, सजीव। विप्लव की इस … Read more