सपनों की आस
भूलो न तुम मेरा आदर, विश्वास
बसे हो तुम मेरे दिल की हर आस
तुम्हारे बिना न भाता कोई उत्सव, कोई खास
छुट गया है सब कुछ, सिर्फ शून्य की आवाज़
कैसे जीऊँ इस एकाकी जीवन के अंधकार में?
दर्द की छाँव, सिसकियों का बसेरा
ठिठके होंठों पर रुकी चुप सी प्यास
नयन पुलिनों पर है मिलन की आस
कांच से टूटे सपनों का प्यारा आशियाना
क्या मेरी वेदना की कोई पहचान है?
जब तुम पास होते हो, हर पल अद्वितीय
मन में भर जाता है उल्लास का सागर
उड़ती हूँ मैं जैसे सफेद कपास की तरह
प्रेम की लहरों में रंगा मधुमास
खुशहाल मन और चितवन की ख़ुशबू
धड़कनों की मृदु आवाज़, मधुर सांसों की मिठास
हमारा मिलन रचता है प्रेम की अमर कथा
दिलबर मेरे कभी न तोड़ना मेरा विश्वास।