समझने का सफर

समझने का सफर


हम किस दिशा में बढ़ते गए, क्या पाया, क्या खोया
आओ मिल कर खोजें आज, यह सफर किस ओर मोड़ा

धरती का शील, आकाश की चादर की विस्तृत परत कहाँ
प्राकृतिक सौंदर्य की छवि, वन-उपवन में छुपा कौन सा वरदान
संगीन छायाएँ पर्वत की, नदियाँ, जल की जो अनमोल धारा
उनका स्थान और महत्व, क्या है आज की हमारी नजर में

सदियों से यह भूमि प्रख्यात, इसके वासी श्रेष्ठता के प्रतीक
संस्कृति, ज्ञान, और कला के हस्ताक्षर, जो हर युग में रहे चिरंजीवी
आज उनकी यादें, भले ही कुछ लुप्त हो गईं हों
फिर भी उनकी ऊँचाई की छाप, जीवन में बनी हुई है कभी न मिटने वाली

वे महापुरुष जो कभी, केवल स्वार्थ में न लगे
सच्चाई और पुण्य की राह पर, चलना ही उनका उद्देश्य था
हर दुख में सहानुभूति, हर पल में करुणा का भास
वे न केवल शब्दों से, बल्कि कर्मों से भी आदर्श का अनुभव

ज्ञान का दीप जलाते हुए, मानवता की सेवा में लगे
उनकी शिक्षाएँ आज भी, हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती हैं
सच्ची स्वतंत्रता की ओर, जो उन्होंने हमें दिखाया
वे आदर्श जिनमें पूर्णता और शांति समायी, हमारे लिए आज भी हैं प्रेरणा


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