सपनों की दुनिया
मैं चाँदनी की छाँव में सुकून लूटता हूँ,
फिर भी हर रात के उजाले में खो जाता हूँ;
चाहे जो हो, सबको पल भर के लिए बुनता,
मैं सपनों की दुनिया लिए चलता हूँ।
मैं जीवन के रंगों को गहराई से समझता हूँ,
संसार की माया को कभी नहीं मानता हूँ;
जग के हंगामे में मैं सिर्फ खुद को जानता,
मैं अपने मन की धुन में रमता हूँ।
मैं हर्ष और दुख के हर रंग को अपनाता हूँ,
हर भावना को अपने दिल में समाता हूँ;
जो बुनते हैं स्वप्न, मैं उनका पूरा करता,
अपने ख्वाबों की बुनाई में खो जाता हूँ।
मैं उमीद की लौ में प्रकाश खोजता हूँ,
अंधेरों की राह में खुद को खो जाता हूँ;
जग की राह पर अगर मिले कोई कांटे,
मैं अपने इरादों की धुन से सबको सिखाता हूँ।
मैं प्रेम की मिठास का प्याला लिए फिरता हूँ,
विषयों के संघर्ष से दूर रहता हूँ;
जो दुनिया की उलझनों में उलझा रहता,
मैं अपने दिल के साथ हर पल बिताता हूँ।
संसार की धुन को मैं हमेशा नजरअंदाज करता,
सपनों के संसार को अपना मानता हूँ;
जिसे लोग सवाल कहते, मैं उसे जवाब मानता,
अपने अस्तित्व की हर धड़कन में जीता हूँ।