शाही सत्ता की छाँव

शाही सत्ता की छाँव


राजमहल की भव्यता के चर्चे;

राजा ने महलों को सजाया;

सुरक्षा के किले ऊँचे बनवाए;

सेना की फ़ौजें तैनात कीं।

अभिनयकारों ने उसकी प्रशंसा की;

मंत्रियों ने राजदंड थामे रखा;

धर्मगुरुओं ने उपदेश दिए;

जनता को धर्म के सूत्र सिखाए।

कवियों ने वीरता की गाथाएँ गाईं;

लेखकों ने कथाएँ छापीं;

इतिहासकारों ने घटनाएँ दर्ज कीं;

नाटककारों ने रंगमंच सजाया।

लोक-समाज पर राज की छाया छा गई;

रानियाँ आदर्श की मूर्तियाँ बनीं;

धर्म का प्रचार दिखावा बना;

सभ्यता की चादर में छिपी हिंसा।

ख़ून की धार बहती रही;

जनता ने आँखें बंद कर लीं;

फिर भी राजा ने अपनी देखभाल की;

सत्ता की चमक में उसने सब संभाला।


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