शब्दों की सरिता

शब्दों की सरिता


मन की गहराइयों में छुपी कोमल भावनाओं का सागर,
शब्दों की लहरों में बहकर, कविता की सरिता बन जाता है।

सुख-दुःख के ताने-बाने, विचारों के जाल में उलझे हुए,
श्वेतपत्र पर बिखरते हैं, मानो रत्न जैसे सजाए हुए।

कभी खुशी की धूप, तो कभी दर्द की ठंडी छांव,
हर भावना को शब्दों में बांधकर, बुनता है कवि अपनी नाव।

भावनाओं की यह धारा, बहती है अंतर्मन से बाहर,
कविता के माध्यम से, हर दिल तक पहुंचाती है अपना असर।

शब्दों की यह माला, जो कवि ने पिरोई है स्नेह से,
हर मोती में छिपा है, एक अनकहा दर्द, एक अनसुना प्रेम।

मन के गहरे अंधेरों में, जब कविता की ज्योति जलती है,
हर शब्द में, हर पंक्ति में, एक नयी जिंदगी सी खिलती है।

तो बहने दो इस सरिता को, शब्दों के इस अद्भुत संसार में,
क्योंकि कविता ही है वह नाव, जो पार लगाती है हमें इस भंवर में।


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