भावों की तरंग

भावों की तरंग


सपनों की उड़ान में बसी एक बात,
शब्दों का सृजन, मन का साथ।

छंदों की गूंज, लय का संगम,
भावनाओं की तरंग, हृदय का अनमोल रत्न।

अलंकारों से सजी ये कल्पना की मूरत,
प्रकृति के रंगों से रची मधुर संगीत की धुन।

कभी हंसी की चंचल बूँदें, कभी प्रेम की मिठास,
कभी वीरता का जयघोष, कभी विरह का आभास।

आत्मा की पुकार, जो करती मन का श्रृंगार,
जीवन के हर पहलू को दिखाती उसका सार।

समाज की तस्वीर, नैतिकता का संग्राम,
सपनों की दुनिया में, ले चलती इसे हर शाम।

बिना शब्दों के भी, करती मन पर प्रहार,
यही है कविता, अंतर्मन का अधिकार।

हर भाव का प्रतिबिंब, जीवन का आधार,
कविता की ये गाथा, करती हर पीड़ा का संहार।


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