निशा में खोया चांद, तुम मेरे हो

निशा में खोया चांद, तुम मेरे हो


तुम्हारी आँचल की छाँव में बसा हूँ,
अब जग के सारे दुखों से दूर हूँ।
समय की चाल को अब क्या गिनूं मैं,
जब तुम्हारी बाहों में सिमटा हुआ हूँ।

प्राण, कह दो, आज तुम मेरे हो।

रात की तन्हाई अब गीत गाती है,
तुम्हारे संग में हर लम्हा मुस्कुराती है।
इस संसार का कोई भी रंग फीका है,
जबसे तुमने प्रेम का रंग चढ़ाया है।

प्राण, कह दो, आज तुम मेरे हो।

मधुशाला का नशा अब क्या लुभाएगा,
तुम्हारे अधरों का स्वाद ही काफी है।
इस संसार के सारे सुख से ऊपर,
बस तुम्हारी मुस्कान ही मेरी दुनिया है।

प्राण, कह दो, आज तुम मेरे हो।

तुम्हारे स्पर्श से जीवन अमर हो गया,
अब न कोई डर, न कोई संशय बचा।
तुम्हारी बाँहों में बंधा यह दिल कहता,
प्राण, आज तुम सिर्फ मेरे हो।

प्राण, कह दो, आज तुम मेरे हो।


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