जो बीत गया, वह सपना था

जो बीत गया, वह सपना था


जीवन में एक सपना था,
हर दिन उसका अपना था।
वह बिखर गया तो बिखर गया,
पर आसमान की छांव देखो,
कितने सपने वहां टूटे।

कितने आंसू वहीं छूटे,
जो छूट गए, फिर कहां मिले।
पर बोलो टूटे सपनों पर,
कब कोई आंसू बहाता है।
जो बीत गया, वह सपना था।

जीवन में एक फूल खिला,
उस पर तुमने प्यार किया।
वह मुरझा गया तो मुरझा गया,
बगीचे की राहें देखो,
कितनी कलियां सूख गईं।

जो सूख गईं, फिर कब खिलीं,
पर बोलो सूखे फूलों पर,
कब बगीचा शोर मचाता है।
जो बीत गया, वह बीत गया।

जीवन में एक प्याला था,
तुमने अपना दिल डाला था।
वह गिर गया तो गिर गया,
मिट्टी के प्याले टूटते हैं,
फिर कब जुड़ते हैं, कब उठते हैं।

पर बोलो टूटे प्यालों पर,
कब कोई पछताता है।
जो बीत गया, वह सपना था,
जो बीत गया, वह बीत गया।


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