कठिन हृदय की पुकार

कठिन हृदय की पुकार


क्या शांति की छाँव न मिलेगी?
अवसाद, दग्ध मेरे मन की छाँव
क्या सौम्यता बरस न सकेगी?

संसार के विषैले पत्ते हटाकर,
आशा के रंग भर, खिलाकर,
क्या करुणा की धारा बहने पर,
कोमल हृदय यह पिघल न सकेगा?

मेरे दुख का बोझ, झुका है,
हर कदम पर थक कर रुकता है,
स्पर्श तुम्हारा मिलने पर, क्या
यह हर दर्द मिटा न सकेगा?


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