उठो और लहराओ


उठो और लहराओ

बादल चीरकर चमकने आया
आ गया, देखो, शक्ति का भान;
खड़ा हो, भविष्य का ध्वज लहराओ,
ओ मेरे देश के वीर जवान!

सागर भी थम गए थे चुपचाप
तेरी आवाज़ सुनकर,
धरती झिझक रही थी, पहाड़ भी हिले,
तेरे गर्जन के असर से डरे।

अब क्या हुआ, किसकी शक्ति ने
शेरों सा दी ये भाषा?
खड़ा हो, भविष्य का ध्वज लहराओ,
ओ मेरे देश के वीर जवान!

उठो, कि पश्चिम की पराजित ज़िंदगियाँ
लेकर आईं मशालें,
उठो, कि पूरब की धड़कन से
फूटने वाली ज्वाला का संकल्प!

उठो, विष की चिंगारी को भस्म कर दो,
शत्रु की हर कोशिश को नकार दो,
खड़ा हो, भविष्य का ध्वज लहराओ,
ओ मेरे देश के वीर जवान!

बता दो सबको, कि मरेगा नहीं
हमारा भारत महान,
लहू की नदियाँ पार कर आया,
खड़ा है भारत का मान!

युद्ध के मैदान में लहराए
हम उसकी ध्वजा तान,
खड़ा हो, भविष्य का ध्वज लहराओ,
ओ मेरे देश के वीर जवान!

देखो, रात की काली चादर में
उजाला लकीर बनकर आया,
देखो, फूलों की हँसी और हवा में
रंगीन अबीर उड़ता आया!

देखो, उषा की किरणों में
देवता का विमान लहराया,
खड़ा हो, भविष्य का ध्वज लहराओ,
ओ मेरे देश के वीर जवान!


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