मैं हर खुशी पर खुशी से लुटा, इसमें मुझे कुछ भी नहीं छुपा।
मैं हर खुशी पर खुशी से लुटा, इसमें मुझे कुछ भी नहीं छुपा। जिन्होंने फूलों के जिंदादिल रंगों मेंरूप का पहला इत्र छिड़का,जिन्होंने चिरपंखों की हल्की लहरों मेंसपनों की बुनाई की छाँव डाली,आँखें जिनकी उन लहरों को सहेजतींजिन्होंने जवानी की नयी राहें खोलीं,मैं हर खुशी पर खुशी से लुटा, इसमें मुझे कुछ भी नहीं छुपा। … Read more