मेरा निर्माण
तुमने मुझसे कुछ न कहा,
संग जीने का मन न किया,
मुझे अब समझो, न सही,
अपनी राहें खुद चुनो,
अब मुझसे कोई काम न लो,
अब मुझसे कोई काम न लो,
दिन गुज़रे बीते वक्त से,
रातें भी तन्हा बिताई हैं,
हे जीवन के निर्माता,
अब और न उलझाओ मुझे,
अब मुझसे कोई काम न लो,
अब मुझसे कोई काम न लो,
हर शब्द की है एक सीमा,
हर सहन की भी एक मियाद,
समझो, मेरा भी दिल है,
कुछ अपने लिए भी सोचो,
अब मुझसे कोई काम न लो.